सोमवार, 19 अप्रैल 2010

अतिथि कब आओगें

अतिथि कब आओगें
सुन कर बहुत अजीब लग रहा होगा कि कब आओगे...पर यह सही और सच लिखा है ..आमतौर पर हम किसी के आने से खुश नही होते .. इसके ढेर सारे कारण है .. सारे तो बताने सम्भव नही पर ...कुछ इस प्रकार हैं .. एक तो घर की दिनचर्या बिगड जाती है .. अगर कामकाजी महिला है तो डबल दिक्कत ...घर पर अगर ज्यादा छोटे बच्चे हैं तो तीन गुणी दिक्कत और घर मे कोई बीमार है तो चार गुणा दिक्कत .. महेमान आने पर स्टोर से बर्तनो का सैट निकालना पडता है .. बिस्तर निकालने पड्ते है ..नमकीन मीठा और शरबत ज्यादा मगँवा कर रखना पड्ता है..इत्यादि .. ..इत्यादि इत्यादि ....अब भाई ..इतने नुकसान है तो फायदा क्या है..
.तो जनाब फायदा यह है कि बहुत दिनो से गंदे घर की सफाई हो जाती है रसोई घर साफ हो जाता है..स्नान घर मे पिचके हुए 3-4 टूथ्पेस्ट् ..,शैम्पू के 5-7 रैपर और छोटे छोटे साबुन और साबुन दानी तुरंत साफ कर दी जाती है ..अलमारी भी साफ की जाती है कि कही महेमान गलती से खोल ना ले .. बैठक के कमरो की भी सफाई की जाती है सोफे के गदे के नीचे जो अखबार बिल या फिल्मी किताबे पडी होती हैं साफ की जाती हैं .. आगंन के गमलो मे गुडाई की जाती है .. नए पौधे लगाए जाते हैं मानो सारे पृयावरण की हमे ही चिंता है ..खुद को घर एक दम साफ साफ लगता है ..हाँ .. वो बात अलग है कि जब महेमान वापिसी की टिकट साथ लेकर आता है तो मन खुशी से नाच उठता है लेकिन जब टिकट भी नही हो और वो जम ही जाए तो मन जाने अनजाने बोल उठता है .. कब जाओगे अतिथि ...
आप मेरी बात से सहमत है या नही .. जरुर बताना ..जल्दी बताना .. क्योकि गरमी की छुट्रटी आ रही हैं तैयारी  भी तो करनी होगी .. है ना ..
मोनिका गुप्ता 

Sirsa
Haryana

1 टिप्पणी:

  1. good evening mam
    this is kunal dewangan a 3rd year b tech student from NIT Kurukshetra Haryana,I recently opened up an organization Ashayam Foundation with its website digin.in which promotes rural education in a new way.I would like to have a word with you regarding the same,as we both stand for a similar cause.
    my e mail id is dewangank@gmail.com and my contact is +919896394471

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