सोमवार, 19 अप्रैल 2010

जिन्दगी को प्रभावित करते धारावाहिक ...

जिन्दगी को प्रभावित करते धारावाहिक ...  

जी हाँ, आपको मानना ही पडेगा कि धारावाहिक हमारी जिन्दगी को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं ...हम इन के इतने आदी हो चुके है कि बस .अब  ये हमारी निजी जिन्दगी मे  भी खुल कर  दखल देने लगे  हैं कि पूछो ही मत .पता है , हमारे पडोस मे शादी थी . टैंट वाले को एक सीरियल का वास्ता दिया गया कि अगर उस सीरियल  जैसी सजावट नही कि तो सारे के सारे पैसे काट लिए जाएगें . मेरी सहेली मोना बता रही थी कि जैसा  उस फलां सीरियल मे दाढी वाला लडका है बिल्कुल वैसा उन्होने दीदी के लिए पसंद किया है बस हमारे वाले का कद ज्यादा लंबा है .अब इससे क्या है कि पह्चान एक दम साफ हो जाती है . रश्मि कल ही शादी के बाद् पहली बार आई तो उसने अपनी सहेलियो को बताया कि जैसे फलां सीरियल मे बडी सी हवेली है बस उसके ससुराल मे भी वैसा है .बाहर बडा सा बगीचा है . झूला है . बस फर्क इतना है कि उस धारावाहिक मे  तीन कारे है और हमारे पास चार अब पता है हुआ क्या कि उसकी सहेलियो को वहां की सारी तस्वीर साफ हो गई कि उसका घर बार कैसा है..जहां किटी पार्टी मे महिलाए अपनी अपनी सास बहू की धारावाहिको से तुलना करती नही थकती वही आदमी भी कम नही है .लड्कियो को रिझाए कैसे   वो सब धारावाहिको से ही सीख रहे हैं और अकसर बतियाते मिल जाते हैं कि फलां सीरियल की लडकी तो बहुत सुंदर है अगर ऐसी ही मिल जाए तो क्या बात है या कुछ नही तो अपनी धर्मपत्नी को ताना देगे कि फलां सीरियल मे तो वो सास होते हुए भी इतनी सुंदर है एक तुम हो जो अभी से ही इतनी बूढी लगने लगी हो जरा सज सँवर के रहा करो जिम क्यो नही ज्वायन कर लेती ..वगैरहा वगैरहा .दीपक के चाचा का जब एक्सीडेंट हुआ तो उसकी माता जी सबको फोन पर रो रो कर बताती थी कि जैसे फलां सीरियल मे एक्सीडेंट हुआ था बस वैसा ही समझ लो इनका हुआ है जैसे वो आई सी यू मे था ये भी उसमे दाखिल रहे बिल्कुल वैसे ही हरे कपडे पहना कर रखते थे .अब भला बताओ ये तो हद हो गई ना .परसो ही श्रीमती जैन मिठाई खिलाने आई कि लडके का रिशता कर दिया मैने खुश होकर पूछा कि कोई फोटो लाई हो तो वो कहने लगी कि फोटो क्या वो बालिका वधू की हूबहू है अब मेरे पास कोई जवाब ही नही था . जो भी है जाने अनजाने ये धारावाहिक हमारी जिन्दगी मे जबरदस्त प्रभाव डाल रहे हैं कही आप इनसे प्रभावित तो नही है . भई, मै तो नही हूँ .. अरे बाप रे , लिखते लिखते समय का पता ही नही चला . मानसी के जन्मदिन पर जाना है और मेरा पसंदीदा  हारर सीरियल ने भी उसी समय आना  है . मै ऐसा करती हूँ कि जिस समय ऎड्स शुरु होती है मै उस समय चली जाऊगीँ और उसे गिफ्ट दे कर जल्दी  वापिस चली आऊगीँ  . इससे कहानी भी मिस नही होगी और मानसी भी नाराज नही होगी  .क्या  करू कहानी मे भयानक मोड जो आने वाला है ..पर पर एक बात साफ है कि मै इन धारावाहिको से बिल्कुल प्रभावित नही हूँ

Monica Gupta
Sirsa
Haryana

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