मदर्स डे यानि माँ का दिन. माँ, मम्मी, माताजी, आई या मामॅ नाम चाहे कितने ही हो पर नामो मे छिपा प्यार एक ही है. माँ के आचँल मे है 100% ममता ही ममता. हमारी कोई परेशानी उनसे छिपी नही रह्ती. ना जाने वो बिना बताए अपने आप कैसे जान जाती हैं. माँ का नाम लेते ही आँखो मे अलग सी चमक आ जाती है. अपनी बात शुरु करने से पहले मैं उन के बारे मे कहना चाहूग़ी कि “उसको नही देखा हमने कभी पर उसकी जरुरत क्या होगी, ए माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी” है ना मैं सही कह रही हूँ ना.
सच, भगवान का दूसरा नाम ही है माँ. हर जगह तो भगवान का जाना सम्भव नही है इसलिए उसने माँ को बना दिया.बेशक समय कितना ही बदल जाए पर हमारे देश के संस्कार ही ऐसे है कि माँ का प्यार ना कभी बदला है ना कभी बदलेगा.
बताने की बाते तो ढेर सी है पर मैं दो बाते ही बता पाऊँगी. बचपन मे मुझे राजमाह चावल बहुत पसंद थे. पसंद तो अब भी है पर मैं तब की बात बता रही हूँ कि जब मैं और मेरा भाई स्कूल से लौट कर आते थे और पता चलता था कि आज राजमाह चावल बने हुए है तो मै सारे के सारे खा जाती थी यानि मम्मी के हिस्से के भी.पर मम्मी कभी नही कहती थी कि यह चावल उनके हिस्से के है वो ना सिर्फ खुशी खुशी खिलाती बलिक बालो मे हाथ भी फेर कर खुश होती रहती. तब मै यही सोचती थी कि जब मैं भी बडी हो जाऊगी तब मैं अपने हिस्से के चावल खुद ही खाऊगी. बच्चो को नही दूगी पर माँ बनने के बाद अहसास हुआ कि सब कुछ तो बच्चो का ही है बच्चो ने खा लिया मानो माँ ने खा लिया. सच पूछो तो बच्चो को खुश देखकर, बच्चो की खुशी मे इतनी खुशी मिलती है कि शब्दो मे बताई नही जा सकती.यह बात माँ बनने के बाद ही जानी.
मुझे याद है कि जब मै पहली बार घर से बाहर होस्ट्ल पढने गई. तब हमारी मैस मे सब्जी के तो डोगे मेज पर रख देते और चपाती का एक एक से पूछ्ते थे कि लेनी है या नही. पता है घर मे तो आद्त थी कि मना करने के बाद भी एक चपाती तो आएगी ही आएगी क्योकि मम्मी कहती यह छोटी सी चपाती तेरे लिए ही बनी है.अब जब मैस वाला भैया पूछ्ता कि और चाहिए तो मै यह सोच कर मना कर देती कि एक तो आएगी ही आएगी. पर मना करने के बाद वो भला क्यो चपाती देगा. होस्ट्ल मे शुरु मे तो बहुत अजीब लगा पर धीरे धीरे आद्त पड गई. बात खाने की नही है बात उस प्यार की है जो हमे मिला जो ऐसी यादे छोड गया जो हमे जीवन भर नही भूलेगी.वही आज हम अपने बच्चो मे देख रहे हैं कल को जब वो बडे हो जाएगे वही बात फिर से दोहराई जाएगी.
सच पूछो तो ऐसी ममतामयी माँ से बार बार लिपट्ने का मन करता है. मन करता है कि फिर से बच्चे बन जाए और माँ के आचलँ से सारी दुनिया देखें जैसे बचपन मे देखते थे. हैप्पी मदर्स डे.
मोनिका गुप्ता
सिरसा
हरियाणा
Sirsa
Haryana
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