शनिवार, 15 मई 2010

ये मौसम का जादू है ...

ये मौसम का जादू है ...
जी हाँ, मौसम भी हमारे जीवन मे जाने अंजाने जादू करता है हमारे मन को खुश, उदास या कभी थिरकने पर मजबूर कर देता है. आप मान लिजिए कि आप आफिस जा रहे हैं जबरदस्त गरमी है आपको ना सिर्फ गुस्सा आएगा बलिक सड्क पर  बेवजह पसीना पोछ्ते आप किसी से भी लडाई कर बैठेगे उसे धमकी भी दे डालेगे पर इसी स्थिती मे अगर मौसम साफ  ना हो यानि आकाश मे बाद्ल हो तो यकीनन आपका सीटी बजाता गुनगुनाता मन उसे बिना कुछ् कहे मुस्कुरा कर आगे बढ जाएगा.
बात सिर्फ यही खत्म नही होती .बरसात  का ये मतलब भी नही निकालना चाहिए कि मन हमेशा खुश ही रहेगा. पता है हल्की हल्की बूंदा बांदी अच्छी लगती है पर जहाँ मूसलाधार हो जाए वहा मन पकौडे और चाय से हट कर चिंता मे हो जाता है कि कही तेज बारिश से सड्क या गली का पानी घर मे तो नही आ जाएगा या छ्त तो ट्पकने नही लगेगी. ऐसे मे फिल्मी गाने हवा हो जाते हैं और टेंशन उसकी जगह ले लेती है क्योकि नेट और फोन भी अनिशिचत काल के लिए शांत हो जाते हैं और उनके शांत होने का मतलब हमारा सारी दुनिया से सम्प्रर्क  टूट जाना ..बसंत के मौसम मे फूल कितने अच्छे लगते हैं उन पर कितनी कविता बन जाती है पर जब हमे कोई फूल ही ना भेजे तो गुस्से का कोई अंत ही नही होता.
अब रही बात सरदी की.कितना भला लगता है ऐसे मौसम मे बाहर  धूप मे बैठना. पर गुस्सा तब आता है जब आप बाहर पलंग़ और कुरसी डाल कर बैठे हो और धूप बादलो मे छिप जाए और शाम तक दर्शन ही ना दे उस समय जबरदस्ती आपको घर के भीतर ही जाना पडता है.
तो देखा कितने उदाहरण है हम तो वही है पर मौसम अपना जादू चला कर हमे अपने आधीन कर ही लेता है. आप मेरी बात से सहमत है या नही जरुर बताना.
मोनिका गुप्ता   
सिरसा 
हरियाणा 

Monica Gupta
Sirsa, Haryana

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